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के पात्र सामान्य कोटि के मजदूर, किसान आदि पात्र हैं जिनका सम्बन्ध ग्रामों और नगरों के

(एक) काशी जी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करके एक मनुष्य बड़ी व्यग्रता के साथ गोदौलिया की तरफ़ आ रहा था। एक हाथ में मैली-सी तौलिया से लपेटी हुई भीगी धोती और दूसरे में सुरती की गोलियों की कई डिबियाँ और सुँघनी की एक पुड़िया थी। उस समय दिन के ग्यारह बजे बंग महिला (राजेंद्रबाला घोष)

शांति ने ऊबकर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

कबूतर का जोड़ा और शिकारी : पंचतंत्र की कहानी

पर व्यंग्य तथा उपहार करती हुई अनेक, कहानियाँ लिखी गई, इन कहानियों में हरिशंकर परसाई की निठल्ले की डायरी, 'सड़क बन हरी है', 'पोस्टर एकता', शरद जोशी की 'रोटी और घण्टी का

कहानीकारों की कहानियों में मनोवैज्ञानिक सत्य और चरित्र की वैयक्तिक विशिष्टता

बूढा आदमी, युवा पत्नी और चोर : पंचतंत्र की कहानी

उस दिन बड़े सबेरे जब श्यामू की नींद खुली तब उसने देखा—घर भर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी काकी उमा एक कंबल पर नीचे से ऊपर तक एक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि-शयन कर रही हैं, और घर के सब लोग उसे घेरकर बड़े करुण स्वर में विलाप कर रहे हैं। लोग जब उमा को श्मशान सियारामशरण गुप्त

बाहर शोरगुल मचा। डोडी ने पुकारा — ''कौन है?'' कोई उत्तर नहीं मिला। आवाज़ आई — ''हत्यारिन! तुझे कतल कर दूँगा!

कहानी की रचना की समय की दृष्टि से यह सबसे पुरानी कहलाती हैं परन्तु आधुनिक कहानी

''ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?" कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा।बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—''हाँ बेटा,ला देंगे।'' उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख चूमकर विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'

था। हिन्दी कहानी के इस विकास पर हरी दृष्टि डालने के लिए हमें हिन्दी कहानी के

कवि डाकू एक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया . डकैती करने वो बैंक गया और जाके सबके ऊपर पिस्तौल तान दिया और बोला “अर्ज़ किया है … तकदीर में जो हैं , वोही मिलेगा तकदीर में जो है, वोही ...

खटमल औत बेचारी जूं : पंचतंत्र की कहानी 

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